000 02247nam a22002297a 4500
003 BML
020 _a9788195006137
082 _a821.214
_bCHA
100 _aChatursen, Acharya
245 _aVayam Raksham:
_bpauranika prshthabhumi par adharit upanyas
250 _a5th Edition
260 _aNew Delhi
_bPunit Books
_c2023
300 _a416p
520 _a‘वैशाली की नगरवधू’ लिखकर मैंने हिन्दी उपन्यासों के सम्बन्ध में एक नया मोड़ उपस्थित किया था कि अब हमारे उपन्यास केवल मनोरंजन तथा चरित्र-चित्रण मर की सामग्री नहीं रह जाएंगे। अब यह मेरा नया उपन्यास 'वयं रक्षामः' इस दिशा में अगला कदम है। इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्य-दानव, आर्य, अनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्मृत-पुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देखकर सारे संसार ने अन्तरिक्ष का देवता मान लिया ।। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर-रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमदा हूँ। इस उपन्यास में मेरे जीवन-मर का सार है.
650 _aHindi Literature - Mystical novel
650 _a Hindi literature- Epic novel
650 _a Ravan- Rama
650 _aGod- Evil
650 _aRamayana- Critical analysis
650 _aKarma
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